है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥ साधु सन्त के तुम रखवारे । जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गए अचरज https://www.youtube.com/shorts/0FUpKP7dKX8
The Fact About Hanuman chalisa That No One Is Suggesting
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